भगवान श्री कृष्ण के ये ‘वचन’ बदल देंगे आपका ‘जीवन’
05 September 23
Vaishnavi
जीवन ना तो भविष्य में है ना अतीत में, जीवन तो इस क्षण में है।
जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।
डर धारण करने से भविष्य के दुख का निवारण नहीं होता है। डर केवल आने वाले दुख की कल्पना ही है।
जो मुझे सब जगह देखता है और सब कुछ मुझमें देकता है उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।
जब भविष्य धुंधला पड़ने लग जाता है, तब आपको अपने वर्तमान में ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है किन्तु मर्यादा मनुष्य का मन ही निर्मित करता है।
वक्त से पहले मिली चीजें अपना मूल्य खो देती है, और वक्त के बाद मिली चीजें अपना महत्व l
नकारात्मक विचारों का आना तय है, परंतु यह आप पर निर्भर करता है, कि आप उन्हें कितना महत्व देते हैं l
जो अच्छा लगे उसे ग्रहण करो और जो बुरा लगे उसका त्याग l फिर चाहे वह विचार हो, कर्म हो या मनुष्य।
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
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